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![]() प्रेम ही ईश्वर है Love is God. God is Love. |
योग पद्धतियोग क्रम व्यवस्थायोग पद्धति योग के उस क्रम का वर्णन है जिस क्रम पर चल कर कोई भी साधक परमात्माबोध या ईश्वर के साक्षात्कार के लक्ष्य तक पहुँचता है. संस्कृत भाषा का शब्द योग संस्कृत धातु " युज " से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है " निरोध ", " जुड़ना " , " रोकना " , " एकत्व ". संस्कृत भाषा की व्याकरण के अनुसार योग शब्द का अर्थ दो सन्दर्भों में (दो प्रकार से ) लिया जाता है. जब इसका अर्थ करण के अनुसार लिया जाता है तो इसका अर्थ साधन, मार्ग, विधि निकलता है ; और अधिकरण में अर्थ लेने पर इसका अर्थ लक्ष्य, एकत्व, अंत, परिणाम, बोध निकलता है. इसलिए योग को कुछ लोग साधन या मार्ग कहते हैं और कुछ लोग लक्ष्य, एकत्व या बोध कहते हैं. जब हम योग शब्द का अर्थ लक्ष्य या बोध लेते हैं तो हम परमात्मा के बोध (भगवन के साक्षात्कार) के अनुभव की बात कर रहे होते हैं जिसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता. परन्तु जब हम योग शब्द का अर्थ साधन, विधि, लेते हैं तो इसका क्रमानुसार वर्णन किया जा सकता है. भारत के महान् ऋषि पतंजलि ने अपने योगसूत्रों में योग की परिभाषा "योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः" बताई है, जिसका अर्थ है चित्त (मन) की समस्त वृत्तियों का पूरी तरह रुक जाना ही योग है. यह योग या चित्त की वृत्तियों का सर्वथा रुक जाना एक क्रम विशेष के अनुसार चलने पर शीघ्र ही सिद्ध होता है, और वह क्रम है :- दीक्षा, श्रवण, मनन, ध्यान और समाधि. भारतीय ग्रंथों में अनेक प्रकार के भक्तों,साधकों के लिए अनेक प्रकार के मार्गों जैसे भक्तियोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, राजयोग, हठयोग, आदि का वर्णन किया गया है, परन्तु साधक चाहे किसी भी मार्ग से चले उसे दीक्षा, श्रवण, मनन, ध्यान एवं समाधि, इस क्रम पर चलना ही पड़ता है. योग की इस क्रम व्यवस्था को गहराई से जानें : १. योग पद्धति : योग दीक्षा १.१ योग पद्धति : समय संस्कार दीक्षा १.२ योग पद्धति : भूत शुद्धि ( षडध्वशोधन ) २. योग पद्धति : श्रवण ३. योग पद्धति : मनन ४. योग पद्धति : ध्यान ४.१ योग पद्धति : ध्यान की विधियाँ ४.२ योग पद्धति : ध्यान में होने वाले अनुभव भाग १, भाग २, भाग ३, भाग ४ ४.३ योग पद्धति : साधना के विघ्न और उनके उपाय ५. योग पद्धति : समाधि ६.१ सपनों के अर्थ ६.२ साधना में विघ्नसूचक स्वप्न/दु:स्वप्न (बुरे सपने) ६.३ साधना में विघ्नसूचक स्वप्न/दु:स्वप्नों (बुरे सपनों) के उपाय ६.४ शुभ स्वप्न 7.0  फ्री ऑनलाइन आध्यत्मिक कोर्स जॉइन करे अध्यात्म और योग का सबसे ऊँचा ज्ञान शिव सूत्र से निकालकर कहानी और गाने "झूठ पुलिंदा" के माध्यम से आप सभी भक्तों को समर्पित है. |